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    हमारे बीच नही रहे वरिष्ठ पत्रकार चंदा बारगल। अचानक आए हार्ट अटैक के बाद दुनिया छोड़ दी



    भोपाल।  अपनी दुनिया अपनी धुन में मस्त रहने वाला जिसको कोई अपने जमाने का कबीर पत्रकार तो कोई मस्त मौला के नाम से जानता था। ऐसा पत्रकार जिसने कभी समझौता नही किया और मुफलिसी में जीकर भी गुजारा कर लिया। ऐसे हरफनमौला पत्रकार की अचानक आज खबर आई कि आज वो नही रहे तो दिल धक से रह गया।  जी हैं मुझे उंगली पकड़ कर, एवं मेरी खबरों से मेरी गलतियो को रोजाना पकड़ कर मुझे पत्रकारिता के क्षेत्र में,लेखनी के गुर सिखाने वाले पत्रकार चंदा बारगल आज हमारे बीच नही रहे।
    1980 में नईदुनिया इंदौर से अपनी पत्रकारिता की शुरुआत करने वाले चंदा बारगल इंदौर में नईदुनिया के बाद स्थानीय केबल चेनल को ज्वाइन किया ओर उसके बाद दैनिक भास्कर में लगातार कार्यरत रहे। जब इंदौर भास्कर का विभाजन हुआ तो भोपाल से शुरू हुए सांध्य दैनिक सातवी दुनिया में भेजे गए जहां से दैनिक भास्कर नागपुर संस्करण में सम्पादकीय कार्य किया।इसके बाद दैनिक नईदुनिया भोपाल ओर दैनिक जागरण में भी रहे। लेकिन सबसे ज्यादा ख्याति प्राप्त की उन्होंने 1993 में प्रसिद्ध राजनीतिक पत्रिका माया में मध्यप्रदेश ब्यूरो बनकर, माया पत्रिका बंद होने के बाद पुनः नागपुर चले गए लेकिन रास नही आने पर भोपाल में स्वतंत्र लिखना शुरू किया।
    सन 2009 में पुनः उनकी दूसरी पारी की शुरुआत प्रदेश टुडे में स्थानीय उपसंपादक के रूप में हुई। इसके बाद उन्होंने युगप्रदेश मे भी सेवाएं दी। फिलहाल 2017 से खबरची ऑनलाइन के नाम से वेबटीवी संचालित कर रहे थे।
    मुफलिसी में भी रहे पत्रकार चंदा बारगल की मोतीलाल बोरा, अर्जुनसिंह, दिग्विजयसिंह सरकार के दौरान खूब पहुंच थी। लेकिन उन्होंने कभी राजनीतिक लाभ नही लिया।
    आज अचानक आए हार्ट अटैक के बाद उन्होंने दुनिया छोड़ दी ओर यह खबरची हमेशा के लिए ऑफलाइन हो गया। हमे अकेला छोड़ गया।
    उनके पीछे उनके परिवार में उनकी पत्नी श्रीमती शोभा बारगल ओर एक बेटी है।
    परिजनों ने बताया कि वरिष्ठ पत्रकार चंदा बारगल का अंतिम संस्कार 11 जुलाई को सुबह 11 बजे के करीब उनके सौम्या एवरग्रीन, कोलार स्थित निवास से समीप के शमशानघाट में किया जाएगा।

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