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    कानूनन अपराध है बच्चे को असहाय छोड़ना।

    पुलिस मुख्यालय की महिला अपराध शाखा द्वारा जन-जागरण कार्यक्रम जारी।


    भोपाल, 26 मई 2020/ बच्चों को असहाय छोड़ देना, उनके साथ निर्दयी व्यवहार अर्थात शारीरिक दंड, मारपीट व गाली देना इत्यादि कृत्य कानूनन अपराध हैं। नाबालिग बच्चे की शादी करना भी अपराध की श्रेणी में आता है। महिलाओं एवं बच्चों के कानूनी अधिकारों से संबंधित यह बातें पुलिस मुख्यालय की महिला अपराध शाखा द्वारा चलाए जा रहे जन-जागरण कार्यक्रम के तहत आम जनमानस के ध्यान में लाईं जा रहीं हैं। जैविक माता-पिता द्वारा अपने बच्चों को अनुशासित एवं नियंत्रण में रखने के लिए किए गए जायज उपाय अपवाद में आते हैं।

          पुलिस की महिला अपराध शाखा ने स्पष्ट किया है कि बच्चों के साथ अमानवीय व निर्दयी व्यवहार करना जेजे एक्ट की विभिन्न धाराओं व नियमों के तहत दंडनीय अपराध है। इसी तरह अवयस्क बच्चों से भीख मंगवाना भी गम्भीर संज्ञेय अपराध है। इस उद्देश्य के लिए बच्चे को शारीरिक क्षति पहुंचाना जेजे एक्ट की धारा 76 के तहत घृणित अपराध माना जाता है।

    पुलिस मुख्यालय की महिला अपराध शाखा ने बच्चों की जन्म तिथि से संबंधित सही दस्तावेज बनवाने की अपील भी की है। क़ानून में जन्म तिथि से सम्बंधित दस्तावेज बच्चों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इससे संबंधित दस्तावेज़ों मसलन जन्म प्रमाण पत्र, आंगनवाड़ी रिकार्ड, स्कूल में प्रवेश फ़ार्म, दसवी की अंकसूची, आधार कार्ड, राशन कार्ड, पासपोर्ट आदि में समान जन्म तिथि न होने पर बच्चे को परेशानी आ सकती है। जन्म, विवाह एवं मृत्यु का पंजीयन भी क़ानूनी रूप से ज़रूरी है।

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